संत गरीबदास जी: शब्दों में ब्रह्म का अनुभव

webmaster
0

🙏 संत गरीबदास जी: शब्दों में ब्रह्म का अनुभव


"गरीब, शब्द है ब्रह्म का बीज,
जो समझे, वो होई सतीत।"


📌 परिचय सारणी

विवरण

जानकारी

नाम

संत गरीबदास जी

काल

1717 – 1778 ईस्वी

जन्मस्थान

छुड़ानी, हरियाणा (परंतु बिहार में भी गहरा प्रभाव)

सम्बंध

कबीर पंथ, निर्गुण भक्ति

भाषा

साधु भाषा, ब्रज, अवधी, भोजपुरी तत्वयुक्त

प्रमुख रचना

गरीब ग्रंथ साहब

🌾 बिहार में प्रभाव

संत गरीबदास जी की शिक्षाएँ बिहार के कई हिस्सों में कबीर पंथ और सतनामी समुदायों के माध्यम से फैलीं। बिहार के वैशाली, दरभंगा, मुंगेर, और गया ज़िलों में आज भी उनके अनुयायी मिलते हैं।

उनकी वाणी "शब्द ही ब्रह्म है" के सिद्धांत पर आधारित है — जो बिहार की संत परंपरा जैसे धनी राम, दूल्हा मंझी, और स्थानीय भोजपुरी संतों की वाणी में भी दिखाई देती है।


📜 संत गरीबदास की वाणी दृष्टिकोण

तत्व

विचार

शब्द-योग

शब्द (नाम) की साधना से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है

निर्गुण ईश्वर

ईश्वर न मूर्ति में है, न मंदिर में – वह तो आत्मा में है

सत्य अहिंसा

कबीर की भांति समाज सुधार, अहिंसा और समरसता का संदेश

समता का दृष्टिकोण

सभी धर्म, जाति, लिंग एक ही ब्रह्म की अभिव्यक्ति हैं

🌼 कुछ प्रसिद्ध वचन

"गरीब, शब्द समुझ निज आत्मा,
तज देहि को मोह।
जो गावे शुद्धा नाम को,
सो लहै ब्रह्म को लौ।।"

"जात-पात पूछे न कोई,
हरि को भजे सो हरि का होई।"


🕊️ समाज पर प्रभाव

क्षेत्र

योगदान

धार्मिक सुधार

बाह्य आडंबर, जात-पात के विरुद्ध वैचारिक क्रांति

लोकभाषा में दर्शन

साधारण भाषा में गूढ़ आध्यात्मिक शिक्षा

सद्भावना का संदेश

सभी मजहबों में एकता की भावना जगाई

बिहार में संत परंपरा

कबीर पंथ के विस्तार और लोकगीतों में वाणी का प्रभाव

📚 रचनाएँ

उनकी वाणी गरीब ग्रंथ साहब में संकलित है, जिसमें 7,000 से अधिक पद, भजन और सतसंग विचार शामिल हैं। बिहार में इस ग्रंथ की भोजपुरी व्याख्याएं भी लोकप्रिय हैं।


🔮 संत गरीबदास बनाम कबीर

पहलू

संत गरीबदास जी

संत कबीर दास जी

भाषा

अधिक साहित्यिक, गूढ़ शब्दों का प्रयोग

सधुक्कड़ी, सीधी-सादी भाषा

शैली

सूक्ष्म दर्शन में गहराई

सामाजिक क्रांति के स्वर प्रबल

भक्त समुदाय

सतनामी व गरीबदासी संप्रदाय

कबीर पंथ

📍 बिहार के संत-प्रभावित क्षेत्र

  • वैशाली – गरीबदास की वाणी पर सत्संग मंडली
  • गया – गरीबदासी ग्रंथ पाठ और प्रचार
  • भागलपुर/मुंगेर – ग्रामीण कबीरपंथी संगतों में गरीबदासी पदों की गूंज

🎯 निष्कर्ष

संत गरीबदास जी केवल हरियाणा तक सीमित नहीं थे। उन्होंने भारत भर में निर्गुण भक्ति और विशेष रूप से बिहार की लोक-संत परंपरा को नई दिशा दी। उनके पद आज भी बिहार की सत्संग सभाओं में गूंजते हैं — और उनके "गरीब" शब्द से आत्मा को झकझोर देने वाली शक्ति मिलती है।

 

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)
9/related/default