🙏 श्री चित्रगुप्त जी महाराज स्तुति | shree chitragupta Ji maharaj Stuti
|| श्री गणेशाय नमः ||
जय चित्रगुप्त भगवान, करुणा सागर दीनदयाल।
पाप ताप विनाशक, धरम नीति के रखवाले॥
कायस्थ कुल के भूषण, श्री चंद्रवंश के लाल।
यमराज के सचिव महान, त्रिलोक के रखवाल॥
हाथों में लेखनी विराजे, कर्मों का रखते लेखा।
ना कुछ छूटे ना कुछ बचे, बिन बुलाई लेवो देखा॥
धर्मराज के न्यायकर्ता, सत्य मार्ग दिखलाने वाले।
पुण्य-पाप का लेखा जोखा, पल में सब बतलाने वाले॥
कलम-दवात लिए कर में, पापियों को राह दिखाते।
भक्तों पर कृपा बनाए, जीवन को सफल बनाते॥
व्रत-उपवास करें जो नर-नारी, करते आपका ध्यान।
सद्गति उनको प्राप्त होती, खुल जाते भवबंधन के ताले॥
हे चित्रगुप्त महाराज! हम सब पर कृपा बनाओ।
सद्मार्ग पे चलें सदा हम, ऐसी बुद्धि दे जाओ॥
जय जय श्री चित्रगुप्त प्रभु, भक्तों के रखवाले।
जो सच्चे भाव से जपते, पार लगते उनके नयाले॥
📿 स्तुति पाठ के लाभ
- पापों का शमन और धर्म मार्ग की प्रेरणा
- जीवन के कार्यों में स्पष्टता और संयम
- आत्मा की उन्नति और मृत्यु के पश्चात न्याय में सहायक