🌿 संत जगजीवन दास: बिहार की धरती से जनमे निर्भय विचारों के प्रणेता

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"न देख मूर्ति, न देख धाम,
घट ही भीतर बसे हैं राम।"
📌 परिचय
विषय |
विवरण |
नाम |
संत जगजीवन दास |
जन्म |
लगभग 1650 ई., बिहार (कुछ मतों में उत्तर प्रदेश सीमा पर) |
परंपरा |
संतमत, निर्गुण भक्ति, समाज सुधार |
भाषा |
भोजपुरी, अवधी, ब्रज मिश्रित |
प्रभाव क्षेत्र |
बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल तराई क्षेत्र |
🧘 आध्यात्मिक दृष्टिकोण
- मूर्तिपूजा और कर्मकांडों का विरोध किया
- संत कबीर, रविदास और धरनीदास की परंपरा में निर्गुण भक्ति पर ज़ोर
- महिलाओं की स्थिति पर सवाल उठाए और उन्हें आध्यात्मिक बराबरी दी
- उन्होंने आत्मा के भीतर परमात्मा को खोजने की बात की
📚 प्रमुख रचनाएँ
- “जगजीवन वाणी” – संतवाणी, दोहे और चौपाइयाँ
- “प्रीत रतन” – भक्ति और प्रेम का दार्शनिक ग्रंथ
- “घट अंतर दीप” – आत्मज्ञान का संवादात्मक वर्णन
✨ प्रमुख दोहे और विचार
"पढ़ि पढ़ि पोथी सब जग मुआ, ना पढ़ सकै जो प्रेम,
जगजीवन कहे हिय की बानी, घट भीतर है प्रेम।"
"जाति-पांति का पाप है भारी,
जो कहे वो संत विचारी।"
🌱 समाज में योगदान
क्षेत्र |
योगदान |
शिक्षा |
लोकभाषा में आध्यात्मिक शिक्षा, ब्राह्मणवाद का विरोध |
नारी उत्थान |
नारी को आध्यात्मिक समानता का अधिकार दिया |
सामाजिक चेतना |
गरीब, शूद्र और दलितों के लिए आध्यात्मिक मार्ग सुलभ किया |
लोकसंस्कृति संवर्धन |
भोजपुरी वाणी को आध्यात्मिक साहित्य में स्थान दिलाया |
📍 संत जगजीवन आश्रम
- बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित संत जगजीवन आश्रम, जहाँ हर वर्ष भव्य “वाणी मेला” का आयोजन होता है।
- उनके अनुयायी “जगजीवनी संप्रदाय” कहलाते हैं जो आज भी बिहार, झारखंड और नेपाल में सक्रिय हैं।
🔁 अन्य समकालीन संतों से तुलना
संत |
परंपरा |
क्षेत्र |
विचारधारा |
संत कबीर |
निर्गुण भक्ति |
बनारस |
सामाजिक क्रांति, जाति विरोध |
धरनीदास |
ज्ञान मार्ग |
समस्तीपुर, बिहार |
निर्गुण वाणी, गुरु महिमा |
जगजीवन दास |
संतमत |
बिहार-पूर्वांचल सीमा |
प्रेम मार्ग, सामाजिक समानता |
📝 निष्कर्ष
संत जगजीवन दास बिहार की संत परंपरा का वह दीपक हैं जिन्होंने समाज के अंधकार को चुनौती दी। उनकी वाणी आज भी लोकगीतों, भजन मंडलियों और सत्संगों में जीवित है। वे बिहार की आत्मा की उस परंपरा के प्रतीक हैं जहाँ धर्म कर्म नहीं, प्रेम ही परम धर्म है।
"जगजीवन की कही वाणी,
प्रेम बिना ना पायें ज्ञानी।"