संत तुकाराम: अभंग भक्ति के अविचल प्रकाशस्तंभ

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🌺 संत तुकाराम: अभंग भक्ति के अविचल प्रकाशस्तंभ

❝ जे का रंजले गांजले, त्यासी म्हणे जो आपुले ❞
(जो दुखी और पीड़ित हैं, वही मेरे अपने हैं)


📌 संक्षिप्त परिचय

विवरण

जानकारी

पूरा नाम:

तुकाराम बुले

जन्म:

1608 ई., देहु गाँव, पुणे (महाराष्ट्र)

मृत्यु:

1649 ई. (किंवदंती: समाधि लेकर वैकुण्ठ गमन)

भाषा:

मराठी

संप्रदाय:

वारकरी पंथ

मुख्य आराध्य:

भगवान विट्ठल (विठोबा)

🧭 जीवन दर्शन

संत तुकाराम ने गृहस्थ जीवन के कष्टों के बीच ही ईश्वर को पाया। उन्होंने विठोबा (भगवान श्रीकृष्ण का स्थानीय स्वरूप) की निर्बाध भक्ति में स्वयं को अर्पित कर दिया।

उनकी रचनाएँ “अभंग” कहलाती हैं — ऐसी कविताएँ जो भाव, भाषा और भक्ति में कभी न टूटें।


📚 साहित्यिक योगदान

विधा

विशेषता

अभंग (भक्ति काव्य)

सरल मराठी भाषा, गहराई से भरा आध्यात्म

विषय

सामाजिक विषमता, भक्त और ईश्वर का संबंध, आत्मनिरीक्षण

रचनाएँ

4,000 से अधिक अभंग रचनाएँ (तुकाराम गाथा में संकलित)

❝ देह जरी जळोनी टाकिला, नाम तो घेतले पावन❞
(शरीर भले ही जल जाए, पर ईश्वर का नाम लेने से आत्मा शुद्ध हो जाती है)


🎵 भक्ति संगीत और वारकरी परंपरा

  • तुकाराम की अभंग वाणी भजन कीर्तन में गाई जाती है।
  • वारकरी संप्रदाय में आज भी हजारों श्रद्धालु उनके पदों को गाते हुए पैदल विठोबा के दर्शन के लिए पंढरपुर जाते हैं।
  • उनका कीर्तन आत्मा की पुकार है, जो सीधे भगवान तक पहुँचती है।

🌍 सामाजिक सुधारक

क्षेत्र

योगदान

जात-पात का विरोध

ब्राह्मणों के आलोचना के बावजूद शूद्रों के साथ भजन-कीर्तन

स्त्री सम्मान

पत्नी के साथ बराबरी का व्यवहार

निर्मल जीवन

वैभव और दिखावे का त्याग

गृहस्थ जीवन में भक्ति

संन्यास नहीं, जीवन के बीच में भी ईश्वर प्राप्ति संभव है

🪔 शिक्षाएँ

  • "नामजप" (भगवान का नाम लेना) ही मोक्ष का सरल मार्ग है।
  • भगवान विठोबा से वह मित्रवत, कभी-कभी शिकायत करते हुए, सजीव संवाद करते थे।
  • धर्म आडंबर नहीं, प्रेम है।
  • उन्होंने स्वयं को “तुका म्हणे” (तुका कहता है) कहकर विनम्रता से संबोधित किया।

🏆 विरासत

पहल

विवरण

तुकाराम महाराज पालखी यात्रा

वार्षिक पैदल यात्रा (देहु से पंढरपुर)

तुकाराम गाथा

उनके अभंगों का प्रमुख संकलन

फिल्म/टीवी

‘संत तुकाराम’ (1936) – भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली फिल्म

लोक आस्था

महाराष्ट्र के हर गाँव में उनकी गाथाएँ गाई जाती हैं

 

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