स्वर्णगौरी व्रत हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत पवित्र और मंगलकारी व्रत माना जाता है। यह व्रत मुख्यतः भाद्रपद शुक्ल त्रितीया तिथि को रखा जाता है, और विशेष रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में महिलाएं इसे श्रद्धापूर्वक करती हैं।
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🔱 स्वर्णगौरी व्रत का महत्व:
स्वर्णगौरी माता, माँ पार्वती का शुभ एवं सौम्य स्वरूप हैं। यह व्रत सौभाग्य, सुख-समृद्धि, अखंड पति सुख तथा संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है।
कहते हैं, जिस प्रकार माँ पार्वती ने कठिन तप से शिव जी को प्राप्त किया, उसी भावना से महिलाएं यह व्रत करती हैं।
📜 व्रत विधि:
- पूर्व संध्या को तैयारी की जाती है। व्रती महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैं और व्रत की सामग्री जुटाती हैं।
- तीसरे दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर देवी गौरी की प्रतिमा या चित्र को स्वर्णाभूषणों (या हल्दी-चावल से बनी मूर्ति) से सजाया जाता है।
- कलश स्थापना कर उसमें अक्षत, सुपारी, पान के पत्ते आदि रखे जाते हैं।
- देवी को कुमकुम, हल्दी, फूल, वस्त्र और प्रसाद अर्पित किया जाता है।
- महिलाएं गौरी माता की कथा सुनती हैं और फिर कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें वस्त्र या दक्षिणा प्रदान करती हैं।
📖 स्वर्णगौरी व्रत कथा (संक्षिप्त रूप):
एक समय की बात है, एक राजा की तीन कन्याएँ थीं। वे तीनों विवाह योग्य थीं। राजा ने सबसे पहले बड़ी बेटी का विवाह एक समृद्ध राज्य में किया, फिर दूसरी का भी अच्छे वर से विवाह हो गया।
अब तीसरी कन्या प्रतिदिन माँ गौरी की पूजा करती थी और विवाह के लिए उत्तम वर की कामना करती थी। माँ गौरी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी जैसे वर का वरदान दिया।
राजा को चिंता थी कि तीसरी कन्या का विवाह एक साधु जैसे वर से न हो जाए, परन्तु उसकी किस्मत में भगवान शिव जैसे वर का साथ लिखा था।
कुछ समय पश्चात एक सुंदर, तेजस्वी और तपस्वी युवक से उसका विवाह हुआ, जो वास्तव में भगवान शिव ही थे। विवाह के पश्चात वह देवी पार्वती के साथ कैलाश पर निवास करने लगी।
यह कथा इस बात का प्रतीक है कि भक्ति, श्रद्धा और दृढ़ संकल्प से माँ गौरी अवश्य प्रसन्न होती हैं और इच्छित फल प्रदान करती हैं।
🌸 व्रत का संदेश:
स्वर्णगौरी व्रत स्त्रियों को यह प्रेरणा देता है कि वे अपने जीवन में सत्कर्म, श्रद्धा और आत्मबल को बनाए रखें। यह व्रत एक आध्यात्मिक यात्रा है जो नारी शक्ति, सौंदर्य, और संकल्प का प्रतीक है।